Friday, May 23, 2014

मैं नहीं तू

स्वर्ग और नरक की चिंता को छोड़कर
अपने 'स्वं' और 'अहम्' को भूलकर
केवल 'तुझे' याद कर
धर्म, संप्रदाय की विधाओं को छोड़कर
अशिक्षा, दरिद्रता शोषण को दूर
पीड़ित मानवता की सेवा में
बुद्ध की भांति
जीवंन उत्सर्ग हेतु
परायण है- नव प्रभात को
आदि है यह
अंत है
अंत तक

' एक चमत्कारी गौरवशाली - भावी भारत का उदय होगा. मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह होकर रहेगा. पहले से कहीं अधिक महँ भारत का उदय अवश्यम्भावी है'

' नारी सृष्टि का साधन है. सृष्टि की आदि शक्ति का क्षेत्र वह समाज और कुल का केंद्र है. पुरुष उसके चरों ओर घूमता है जैसे कोल्हू का बैल. '

- नमालूम