Saturday, May 31, 2014

दिन है सूना

जब से तूने निगाह फेरी है , दिन है सूना तो रात अधूरी है
चाँद भी अब नज़र नहीं आता सितारे भी कम निकलते हैं
याद में तेरी रात-रात भर जागकर हम करवटें बदलते हैं

लुट गयी वो बहार की महफ़िल
लुट गयी हमसे प्यार की मंजिल
ज़िन्दगी की उदास रातों में तेरी यादों के साथ चलते हैं

तुझको पाकर हमें बहार मिली
तुसे से छुटकर ये बात खुली
वाहवाही चमन के फूलों को अपने पैरों से खुद मचलते हैं

क्या कहें तुझसे क्यूँ हुयी तुझसे ये दूरी
हम समझते हैं ये तो थी मेरी मजबूरी
तुझको मालूम क्या तेरी ख्वाबों की नगरी
दिल के ग़म आसुओं में ढलते हैं

हर घड़ी दिल में, तेरी उल्फत के दिए जलते हैं
याद में तेरी रात-रात भर जागकर हम करवटें बदलते हैं

- नमालूम