Wednesday, May 21, 2014

कर्म भूमि से ....

ज़िन्दगी कि वह उम्र जब इन्सान को मुहब्बत की सबसे ज्यादा जरूरत होती है बचपन है. उस वक़्त पौधे को तरी मिल जाये, तो ज़िन्दगी भर के लिए उसकी जड़ें मजबूत हो जाती हैं. उस वक़्त खुराक न पाकर ज़िन्दगी खुश्क हो जाती है. मेरी माँ का उसी ज़माने में देहांत हुआ और तब से मेरी रूह को खुराक नहीं मिली. वही भूख मेरी ज़िन्दगी है.

जिन वृक्षों कि जड़ें गहरी होती हैं. उन्हें बार-बार सींचने कि जरूरत नहीं होती. वह जमीन से ही आद्रता लेकर फलते फूलते हैं. सकीना और अमर का प्रेम वही वृक्ष  है. उसे सजग रखने के लिए बार-बार मिलने की जरूरत नहीं.