Tuesday, May 20, 2014

जीवन से भरी

जीवन से भरी तेरी आँखें मजबूर करें जीने के लिए
सागर भी तरसते रहते हैं तेरे रूप का रस पीने के लिए

तस्वीर बनाये क्या कोई, क्या कोई लिखे तुझ पे कविता
रंगों छंदों में समाएगी , किस तरह से इतनी सुन्दरता, सुन्दरता

इक धड़कन है  तू दिल के लिए
इक जाम है तू जीने के लिए

मधुवन की सुगंध है साँसों में
बाहों में कमल की कोमलता
किरणों का तेज है चेहरे पे
हिरणों कि है तुझमें चंचलता , चंचलता

आँचल का तेरे है तार बहुत
कोई चाक जिगर सीने के लिए

जीवन से भरी तेरी आँखें ........

- इन्दीवर