Tuesday, May 20, 2014

पल पल

पल -पल दिल के पास तुम रहती हो
जीवन मीठी प्यास ये कहती हो

हर शाम आँखों पर तेरा आँचल लहराए
हर रात यादों कि बारात ले आए
मैं सांस लेता हूँ, तेरी खुशबू  आती है
इक महका-महका सा पैगाम लाती है
मेरे दिल की धड़कन भी तेरे गीत गाती है

कल तुझको देखा था मैंने अपने आँगन में
जैसे कह रही थी तुम मुझे बाँध लो बंधन में
ये कैसा रिश्ता है, ये कैसे सपने हैं
बेगाने होकर भी क्यों लगते अपने हैं
मैं सोच में रहता हूँ, डर-डर कर कहता हूँ

तुम समझोगी क्यूँ इतना मैं तुम्हें प्यार करूँ
तुम समझोगी दीवाना मैं भी इकरार करूँ
दीवानों कि ये बातें दीवाने जानते हैं
तुम यूँ ही जलाती रहना आ -आ कर ख्वाबों में

- राजेन्द्र कृष्ण