Thursday, May 15, 2014

हम खुद को भूल जायेंगे

रस्म मुहब्बत कि हम इस तरह निभाएंगे
तुझे याद करके हम खुद को भूल जायेंगे
बात वो मतलब कि खुद वो समझ लेंगे
हम कहाँ -कहाँ उनको आईना दिखायेंगे

रोटियां मुश्किल हैं जिन गरीब लोगों को
डोलियाँ वो बेटी कि किस तरह सजायेंगे
या ख़ुदा गरीबों को बेटियां न तुम देना
वरना पैसे वाले फिर इक बहू जलाएंगे

- वैभव वर्मा