Saturday, May 31, 2014

सारे सपने कहीं खो गए

सारे सपने कहीं खो गए
हाय हम क्या से क्या हो गए
दिल से तन्हाई का दर्द जीता
क्या कहें हम पे क्या क्या न बीता
तुम न आये मगर जो गए
हाय हम क्या से क्या हो गए

तुमने हमसे कही भी जो बातें
आज पूरी हुयी ग़म की रातें
तुमसे मिलने के दिन तो गए
हाय हम क्या से क्या हो गए

कोई शिकवा न कोई गिला है
हमको कब तुमसे ये ग़म मिला है
हाँ नसीब अपने ही सो गए
हाय हम क्या से क्या हो गए
सारे सपने कहीं खो गए
हाय हम क्या से क्या हो गए

- नमालूम