Tuesday, June 3, 2014

भारतीय टीम का 17 वर्ष बाद पाकिस्तान जाने पर जोरदार स्वागत - 1978

सत्रह वर्षों बाद क्रिकेट की टीम यहाँ भारत से आई
भूली- बिसरी यादों ने ली दोनों ओर ही अंगड़ाई
कुछ प्रेम की चोटें मारेंगे , कुछ प्यार की गेंदें फेकेंगे
कुछ पास के जलवे लूटेंगे , कुछ दूर से आँखें सेकेंगे

यह प्रीत का चौका मारेगा , वह भी छक्का मारेगा
जो हारेगा वह जीतेगा , जो जीतेगा वह हारेगा
यह तेजी से दिल फेकेंगा , वह कड़ी चोट लगाएगा
मचलेगा, दिल धड़केगा, और कैच वही हो जायेगा

पीछे रक्षक जो होगा, वह बेखूबी से दिल पकड़ेगा
मुट्ठी में जब दिल आएगा , वह सीधा होकर अकड़ेगा
दिल को जो घुमाकर छोड़ेगा या जो उसे नचाएगा
वह अच्छे खासे दिलवर को , चक्कर में खूब फँसाएगा

खेल ही सारा प्रेम का है , खेल ही सारा प्यार का है
खेल मियां कोई खेल नहीं , खेल बड़े किरदार का है
मेहमान हो तुम सर आँखों पर तुमसे बड़ी उम्मीद हमें
वैसे भी महीना ईद का है, आना भी तुम्हारा ईद हमें

मैदान में आओ मिलजुलकर , मैदान का लावाजार करें
इस खेल में फूंकें जान नयी , ऊंचा इसका मेयार करें
हम सारे प्रेम पुजारी हैं , उल्फत के शैदाई हैं
मैदान-दिलों का संगम है , हम-तुम सब भाई-भाई हैं

जो हार तुम्हें पहनाएं हम, सीनों पर सजाना
है सज्जनो
मैदान में हारो या जीतो, दिल जीत के जाना
है सज्जनो !!

- डॉ . सैयद इनाम हसन 'शरीफ'