Sunday, June 1, 2014

नव वर्ष की शुभकामनाएं

भृकुटियों में पाला नहीं
जा सकता
ह्रदय में संभाला नहीं
जा सकता
यह नवीनता लेकर
आएगा
फिर बीता कल हो
जायेगा
हर बार बसंत
आता है
साश्वत तो नहीं ठहर
पाता है
नव वर्ष तो ऐसे
ही आता है
जीवन्तता के इन्द्रधनुषी
रंगों को भर लाना है
दुःख एक छिपा होगा
एक वर्ष और कम होगा
खुशियाँ भी तो कम
न होंगीं
सबको भविष्य की
कल्पना होगी
नए-नए आयाम
दिखेंगे
सपने सब साकार
लगेंगे
नव वर्ष में सबको
मिले सुख समृद्धि
लक्ष्य हो निश्चित
प्रयासों में हो वृद्धि
उन्नति करे अपना
देश
शुभकामनाएं सहित
'कशिश' का सन्देश

- कशिश