Thursday, June 5, 2014

सुबह वीरान है रौशनी जब नहीं

शहर में गाँव में धूप में छाँव में
खुद को रोका बहुत फिर भी सोचा बहुत
ज़िन्दगी कौन है बंदगी कौन है
 बस तुम्हारा शबाब दे रहा है जवाब
ज़िन्दगी हो तुम्हीं बंदगी हो तुम्हीं

एक शहजादी है नाम है शायरी
उसकी महफिल में है हर तरफ दिलकशी
शे'र सुनते रहे फिर भी उलझे रहे
शायरी कौन है दिलकशी कौन है
बस तुम्हारा शबाब दे रहा है जवाब
शायरी हो तुम्हीं दिलकशी हो तुम्हीं

सुबह वीरान है रौशनी जब नहीं
रात वीरान है चांदनी जब नहीं
हमको सबकी खबर दिल ने रोका मगर
रौशनी कौन है चांदनी कौन है
बस तुम्हारा शबाब दे रहा है जवाब
रौशनी हो तुम्हीं चांदनी हो तुम्हीं

- नमालूम

16.07.99