Tuesday, June 10, 2014

कैसे भूल जाऊं उसकी महकी सी बातों को

बेदर्दी से प्यार का सहारा न मिला
ऐसा बिछड़ा वो मुझसे दोबारा न मिला

टूट गया प्यार का सुहाना सपना
वही निकला बेगाना जिसे जाना अपना
इस ग़म की कश्ती को किनारा न मिला

सो जाये ज़माना मैं जागूं रातों को
कैसे भूल जाऊं उसकी महकी सी बातों को
बेदर्दी से प्यार का सहारा न मिला

रोता है दिल उसे याद करके
वो तो चला गया मुझे बर्बाद करके
उसकी याद से दिल करार न मिला

- नमालूम