Wednesday, June 11, 2014

हवा के झोंके बुझाना चाहते हों

उस अंधेरे में तारों की झीनी रौशनी में और दूर खम्बे पर बिजली के प्रकाश में उसके चेहरे पर मुस्कान  और आसुंओं का मिला जुला असर बड़ा ही सुन्दर लग रहा था. वैसे भी आंसुओं को रोकने और मुस्कराने की कोशिश में नारी के मुख पर एक तेज आ जाता है , जैसे एक दीपक हो जो जलना चाहता हो परन्तु जिसे हवा के झोंके बुझाना चाहते हों.

- नमालूम